’संचार माध्यम’ के लिए जो शोध आलेख भेजे जाएँ उन्हें अन्य पत्रिकाओं को नहीं भेजना चाहिए और न ही शोध आलेखों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से उसी सामग्री के साथ किसी अन्य पत्रिका में प्रकाशित किया जाना चाहिए। लेखकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘संचार माध्यम’ में प्रकाशन के लिए भेजे जाने वाले आलेख किसी भी रूप में या मिलती-जुलती सामग्री के रूप में पहले प्रकाशित न हुए हों।
किसी भी तरह की साहित्यिक चोरी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। आलेख के साथ मूल कार्य का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है, जिसके बिना आलेखों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। लेखकों को आलेखों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए। कोई भी अनैतिक व्यवहार (साहित्यिक चोरी, गलत डेटा आदि) किसी भी स्तर पर (पियर रिव्यू या संपादन स्तर पर भी) आलेख की अस्वीकृति का कारण बन सकता है। किसी भी समय साहित्यिक चोरी और तथ्यों निष्कर्षों के स्वनिर्मित आदि पाए जाने पर प्रकाशित आलेख वापस लिए जा सकते हैं।
पत्रिका लेखकों से प्रकाशन के लिए कोई पैसा नहीं लेती है।
पत्रिका लेखकों को उपयुक्त मानदेय का भुगतान करती है।
बहुस्तरीय समीक्षा (पियर रिव्यू) प्रक्रिया
‘संचार माध्यम’ में प्रकाशनार्थ प्राप्त सभी आलेख दोहरी या बहुस्तरीय निष्पक्ष समीक्षा (डबल ब्लाइंड पीयर रिव्यू) प्रक्रिया के अधीन हैं। शोध आलेखों को विशेषज्ञों के पास बिना उनके लेखक/लेखकों का नाम बताए समीक्षा के लिए भेजा जाता है। उनकी टिप्पणी, सुझावों और अनुशंसा के आधार पर ही शोध-पत्रों के प्रकाशन का निर्णय लिया जाता है। संपादन-परिषद् के संतुष्ट होने पर ही शोध-पत्र प्रकाशित किया जाता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर 4-6 सप्ताह लगते हैं। समीक्षा प्रक्रिया पाँच चरणों पर आधारित हैः-
क. जस के तस स्वीकार करने लायक,
ख. मामूली सुधार की आवश्यकता,
ग. मध्यम सुधार की आवश्यकता,
घ. अधिक सुधार की आवश्यकता
ङ. अस्वीकृत। ‘संचार माध्यम’ तीव्र समीक्षा प्रक्रिया का पालन नहीं करता है।
कॉपीराइट नोटिस
‘संचार माध्यम’ में प्रकाशित सभी शोध-पत्रों/आलेखों आदि का कॉपीराइट भारतीय जन संचार संस्थान के पास सुरक्षित है, जो किसी भी देशी-विदेशी संस्थान से उनके पुनः प्रकाशन, फोटोकॉपी, संग्रहण अथवा किसी भी माध्यम से प्रसारण के लिए अनुबंध करने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि ‘संचार माध्यम’ में प्रकाशित सामग्री के अकादमिक उपयोग पर भारतीय जन संचार संस्थान को आपत्ति नहीं है, परंतु उसके व्यावसायिक उपयोग की अनुमति नहीं है। अकादमिक उपयोग संबंधी मामलों में भारतीय जन संचार संस्थान/‘संचार माध्यम’ के प्रति आभारोक्ति आवश्यक है।
लेखों का संपादन
यदि प्रकाशन के लिए लेख स्वीकार किया जाता है, तो उसे कम-से-कम दो संपादन चरणों से गुजरना पड़ता है। लेखकों को ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्वीकृत लेख संपादन के किसी भी स्तर पर संपादकों द्वारा आवश्यक संशोधनों व परिवर्तनों के अधीन हैं।
लेख भेजने के लिए
शोध आलेखों के अलावा ‘संचार माध्यम’ में मीडिया/जन संचार से जुड़े समसामयिक मुद्दों पर लेख/टिप्पणियां भी प्रकाशित की जाती हैं. इन लेखों/टिप्पणियों को प्रकाशन के लिए संपादक, संचार माध्यम, को ईमेल के माध्यम से भेजा जाना चाहिए।