ISSN :2321-2608
संचार माध्यम
प्रधान संपादक : प्रो. संजय द्विवेदी
महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
संपादक : प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार
drpk.iimc@gmail.com
संचार माध्यम के बारे में
‘संचार माध्यम’ (ISSN: 2321-2608) भारतीय जन संचार संस्थान (नई दिल्ली) की संचार, मीडिया, पत्रकारिता और उससे संबंधित मुद्दों पर केंद्रित हिंदी में प्रकाशित सामग्री चयन में उच्च मानदंडों का पालन करने वाली अग्रणी और यूजीसी-केयर सूचीबद्ध शोध पत्रिका है। इसका प्रकाशन 1980 में प्रारंभ हुआ और आज यह हिंदी भाषा में संचार, मीडिया और पत्रकारिता से संबंधित विषयों पर विभिन्न प्रकार के विचारों, टिप्पणियों, पुस्तक समीक्षा और मौलिक शोध-पत्रों के प्रकाशन का प्रतिष्ठित मंच है। इसमें मीडिया से संबंधित सभी प्रकार के विषयों पर मौलिक अकादमिक शोध और विश्लेषण प्रकाशित किए जाते हैं। अकादमिक शोध के उच्चतर मूल्यों का पालन करते हुए ‘संचार माध्यम’ में प्रकाशन से पूर्व सभी शोध पत्रों/आलेखों के लिए निष्पक्ष समीक्षा की एक कठोर प्रक्रिया का पालन किया जाता है। भारतीय जन संचार संस्थान के प्रकाशन विभाग द्वारा इसका प्रकाशन किया जाता है। पत्रिका का प्रकाशन छमाही (जनवरी-जून और जुलाई-दिसम्बर) होता है।
उद्देश्य और कार्यक्षेत्र
‘संचार माध्यम’ में मीडिया से संबंधित सभी प्रकार के विषयों पर मुख्यत: अकादमिक शोध और विश्लेषण प्रकाशित होते हैं।
प्रकाशन की आवृत्ति
‘संचार माध्यम’ वर्ष में दो बार प्रकाशित होता है: जनवरी-जून और जुलाई-दिसंबर
‘संचार माध्यम’ में निम्नलिखित श्रेणी के शोध-पत्र प्रकाशित किए जाते हैं:
मौलिक शोध पर आधारित शोध-पत्र: इस प्रकार के शोध-पत्र की शब्द सीमा 4000 से 5000 शब्द होनी चाहिए। जो डबल स्पेस में टाइप किया गया हो। साथ ही अधिकतम 250 शब्दों में शोध सारांश भी शामिल होना चाहिए। शोध-पत्र सिर्फ़ यूनिकोड फॉण्ट में ही टाइप होना चाहिए और उसमें संबंधित शोध की पूर्ण तस्वीर दृष्टिगोचर होनी चाहिए। शोध-पत्र से जुड़े छायाचित्र/ग्राफ़/टेबल, यदि कोई हों, तो वे भी अपनी मूल प्रति के साथ (एक्सेल फाइल इत्यादि) संलग्न किए जाने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि छायाचित्रों का रिजॉल्यूशन उच्च स्तर का हो, ताकि प्रिटिंग के समय गुणवत्ता प्रभवित न हो। पीडीएफ़ फ़ाइल में शोध पत्र स्वीकार्य नहीं होंगे।
लघु शोध आधारित शोध-पत्र: लघु शोध आधारित आलेख 2000 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए, यानी लगभग 4-5 पृष्ठ, डबल स्पेस में टाइप किया गया हो। यह भी यूनिकोड फॉण्ट में ही टंकित होना चाहिए। ऐसे शोध-पत्र भी पूर्ण हो चुके शोध/अध्ययनों पर ही आधारित होने चाहिए। इसमें ऐसे तथ्यपूर्ण शोध-पत्र भी शामिल हो सकते हैं, जिनका संबंध किसी नवीन तकनीक के विकास से है। ऐसे शोध-पत्रों का शोध सारांश 80 से 100 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
शोध समीक्षा: इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले समीक्षात्मक आलेखों में प्रस्तावना, साहित्य समीक्षा, शोध परिणाम आदि के अलावा संबंधित शोध में मौजूद कमियों और उन कमियों के सुधार हेतु सुझावों का भी समावेश होना चाहिए, ताकि भविष्य में अन्य शोधकर्ता उन कमियों को दूर करने की दिशा में प्रयास कर सकें।
पुस्तक समीक्षा: ‘संचार माध्यम’ में पत्रकारिता और जनसंचार पर प्रकाशित पुस्तकों की समीक्षा (शब्द सीमा: 1500) भी प्रकाशित की जाती है। अन्य विषयों जैसे सामाजिक ज्ञान, सामाजिक कार्य, एंथ्रोपोलोजी, कला आदि पर प्रकाशित पुस्तकों की समीक्षा भी भेजी जा सकती है बशर्ते उनका शीर्षक मीडिया अध्ययन से जुड़ा हो या उनकी सामग्री में कम-से-कम 40 प्रतिशत अध्याय मीडिया, जनसंचार या पत्रकारिता से जुड़े हों। पुस्तक समीक्षाएँ उनके पूर्ण विवरण जैसे प्रकाशक, वर्ष, संस्करण, पृष्ठ संख्या, मूल्य व पुस्तक के छायाचित्र के साथ भेजी जानी चाहिए।
निजता घोषणा
‘संचार माध्यम’ की वेबसाइट पर दर्ज नाम और ईमेल का प्रयोग सिर्फ़ घोषित उद्देश्य के लिए ही किया जाता है तथा किसी अन्य व्यक्ति/संस्थान को किसी अन्य उपयोग हेतु उपलब्ध नहीं कराया जाता।
संपादक मंडल
श्री अच्युतानन्द मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (भोपाल), नई दिल्ली
डॉ. सच्चिदानंद जोशी
पूर्व कुलपति, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय, रायपुर एवं सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
प्रो. ओम प्रकाश सिंह
प्रोफेसर एवं निदेशक, महामना मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
प्रो. पवित्र श्रीवास्तव
डीन अकादमिक, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्य प्रदेश
प्रो. गोविंद सिंह
डीन अकादमिक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
प्रो. आनंद प्रधान
प्रोफेसर, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
प्रो. अनिल कुमार सौमित्र
प्रोफेसर एवं क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, अमरावती, महाराष्ट्र
प्रो. संगीता प्रणवेंद्र
प्रोफेसर, रेडियो और टेलीविजन, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
प्रो. प्रमोद कुमार
प्रोफेसर, अंग्रेजी पत्रकारिता एवं संपादक, ‘संचार माध्यम’, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
डॉ. शुचि यादव
सह-आचार्य, मीडिया अध्ययन केंद्र, सामाजिक विज्ञान स्कूल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
डॉ. शाहिद अली
विभागाध्यक्ष, जन संचार, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़
डॉ. पवन कौंडल
सहायक संपादक, ‘संचार माध्यम’, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली
लेखकों के लिए शोध-पत्र जमा करने हेतु दिशा-निर्देश:
- अपना शोध-पत्र एम.एस वर्ड में मंगल फॉन्ट (यूनिकोड) में 12 पॉइंट साइज़ में टंकित कर sancharmadhyamiimc@gmail.com पर ई-मेल करें।
- शोध-पत्र लिखते समय संदर्भों का स्पष्ट उल्लेख करें। पुस्तक का संदर्भ, पत्र-पत्रिका का सन्दर्भ, प्रकाशन वर्ष एवं संस्करण का अंकित होना अनिवार्य है। सन्दर्भ के लिए ए.पी.ए शैली (APA, छठा संस्करण) का उपयोग करें। यह अनिवार्य है।
- शोध-पत्र पूर्ण रूप से मौलिक होना चाहिए, जिसका घोषणा-पत्र साथ में संलग्न होना चाहिए अन्यथा शोध पत्र पर गौर नहीं किया जायेगा।
- शोध-पत्र के आरम्भ में शोध-सारांश (अधिकतम 200 शब्द) तथा अंत में, निष्कर्ष अवश्य लिखें।
- समस्त शोध-पत्रों का सर्वाधिकार ‘संचार माध्यम’ के पास सुरक्षित है।
- पत्रिका में प्रकाशित सभी शोध-पत्र के पुनर्प्रकाशन के लिए प्रधान-सम्पादक से अनुमति लेना आवश्यक होगा।
- शोध-पत्रिका में प्रकाशित सभी पत्रों के विचार लेखकों के अपने हैं। इससे संपादन-मंडल का सहमत होना अनिवार्य नहीं है।
- संक्षिप्त सम-सामयिक मीडिया टिप्पणियों, साक्षात्कारों और पुस्तक समीक्षा का निर्णय संपादक-मंडल करता है।
लेखों का संपादन
यदि प्रकाशन के लिए लेख स्वीकार किया जाता है, तो उसे कम से कम दो संपादन चरणों से गुजरना पड़ता है। लेखकों को ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्वीकृत लेख संपादन के किसी भी स्तर पर संपादकों द्वारा आवश्यक संशोधनों / परिवर्तनों के अधीन हैं।
प्रकाशन नैतिकता और साहित्यिक चोरी
· ‘संचार माध्यम’ के लिए जो शोध आलेख भेजे जाएँ उन्हें अन्य पत्रिकाओं को नहीं भेजना चाहिए और न ही शोध आलेखों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से उसी सामग्री के साथ किसी अन्य पत्रिका में प्रकाशित किया जाना चाहिए। लेखकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘संचार माध्यम’ में प्रकाशन के लिए भेजे जाने वाले आलेख किसी भी रूप में या मिलती-जुलती सामग्री के रूप में पहले प्रकाशित न हुए हों।
· किसी भी तरह की साहित्यिक चोरी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। आलेख के साथ मूल कार्य का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है, जिसके बिना आलेखों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। लेखकों को आलेखों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए। कोई भी अनैतिक व्यवहार (साहित्यिक चोरी, गलत डेटा आदि) किसी भी स्तर पर (पियर रिव्यू या संपादन स्तर पर भी) आलेख की अस्वीकृति का कारण बन सकता है। किसी भी समय साहित्यिक चोरी और तथ्यों निष्कर्षों के स्वनिर्मित आदि पाए जाने पर प्रकाशित आलेख वापस लिए जा सकते हैं।
· पत्रिका लेखकों से प्रकाशन के लिए कोई पैसा नहीं लेती है।
· पत्रिका लेखकों को उपयुक्त मानदेय का भुगतान करती है।
बहुस्तरीय समीक्षा (पियर रिव्यू) प्रक्रिया
‘संचार माध्यम’ में प्रकाशनार्थ प्राप्त सभी आलेख दोहरी या बहुस्तरीय निष्पक्ष समीक्षा (डबल ब्लाइंड पीयर रिव्यू) प्रक्रिया के अधीन हैं। शोध आलेखों को विशेषज्ञों के पास बिना उनके लेखक/लेखकों का नाम बताए समीक्षा के लिए भेजा जाता है। उनकी टिप्पणी, सुझावों और अनुशंसा के आधार पर ही शोध-पत्रों के प्रकाशन का निर्णय लिया जाता है। संपादन-परिषद् के संतुष्ट होने पर ही शोध-पत्र प्रकाशित किया जाता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर 4-6 सप्ताह लगते हैं। समीक्षा प्रक्रिया पाँच चरणों पर आधारित हैः-
क. जस के तस स्वीकार करने लायक,
ख. मामूली सुधार की आवश्यकता,
ग. मध्यम सुधार की आवश्यकता,
घ. अधिक सुधार की आवश्यकता
कॉपीराइट नोटिस
‘संचार माध्यम’ में प्रकाशित सभी शोध-पत्रों/आलेखों आदि का कॉपीराइट भारतीय जन संचार संस्थान के पास सुरक्षित है, जो किसी भी देशी-विदेशी संस्थान से उनके पुनः प्रकाशन, फोटोकॉपी, संग्रहण अथवा किसी भी माध्यम से प्रसारण के लिए अनुबंध करने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि ‘संचार माध्यम’ में प्रकाशित सामग्री के अकादमिक उपयोग पर भारतीय जन संचार संस्थान को आपत्ति नहीं है, परंतु उसके व्यावसायिक उपयोग की अनुमति नहीं है। अकादमिक उपयोग संबंधी मामलों में भारतीय जन संचार संस्थान/‘संचार माध्यम’ के प्रति आभारोक्ति आवश्यक है।
लेखों का संपादन
यदि प्रकाशन के लिए लेख स्वीकार किया जाता है, तो उसे कम-से-कम दो संपादन चरणों से गुजरना पड़ता है। लेखकों को ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्वीकृत लेख संपादन के किसी भी स्तर पर संपादकों द्वारा आवश्यक संशोधनों व परिवर्तनों के अधीन हैं।
लेखकों के लिए दिशा निर्देश
पीडीएफ अपलोड कर दिया गया है
संपर्क:
‘संचार माध्यम’ में शोध पत्र भेजने के लिए सिर्फ़ इस ईमेल पर ही लेख भेजे जाने चाहिए: sancharmadhyamiimc@gmail.com
इसके अलावा ‘संचार माध्यम‘ के संपादक और सहायक संपादक से भी संपर्क किया जा सकता है, उनके नाम और ईमेल इस प्रकार हैं–
संपादक : प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार (drpk.iimc@gmail.com)
सहायक संपादक : डॉ. पवन कौंडल (pawankoundal@gmail.com)
इन संपर्क सूत्रों के अलावा अन्य कोई भी संपर्क मौजूद नहीं है। लेखकों को सिर्फ़ उपर्युक्त ईमेल पर ही संपर्क करना चाहिए।
निःशुल्क प्रकाशन
‘संचार माध्यम’ में प्रकाशित होने वाले सभी आलेख पूर्ण रूप से निःशुल्क हैं और लेखकों से किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं लिया जाता है।