प्रकाशन नैतिकता और साहित्यिक चोरी
· संचार माध्यम के लिए शोध लेख भेजने वाले लेखकों को उन्हें अन्य पत्रिकाओं को नहीं भेजना चाहिए और न ही शोध लेखों को अन्यत्र पूरी तरह से या समान रूप से उसी सामग्री के साथ किसी अन्य पत्रिका में प्रकाशित किया जाना चाहिए।
· किसी भी तरह की साहित्यिक चोरी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। लेख के साथ मूल कार्य का घोषणापत्र प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है जिसके बिना लेखों पर कोई भी विचार नहीं किया जाएगा। लेखकों को लेखों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए। कोई भी अनैतिक व्यवहार (साहित्यिक चोरी, गलत डेटा आदि) किसी भी स्तर पर (पियर रिव्यू या संपादन स्तर) लेख की अस्वीकृति का कारण बन सकता है । किसी भी समय साहित्यिक चोरी और/या परिणामों का खुद के निर्माण आदि पाए जाने पर प्रकाशित लेख वापस लिए जा सकते हैं।
· पत्रिका लेखकों से प्रकाशन के लिए कोई पैसा नहीं लेती है।
· पत्रिका लेखकों को उपयुक्त मानदेय का भुगतान करती है।
कॉपीराइट
· लेख और पत्रिका में प्रकाशित अन्य सामग्री का कॉपीराइट प्रकाशक के पास होगा।
· परमिशन रिक्वेस्ट, रिप्रिंट और फोटोकॉपी: सभी अधिकार सुरक्षित हैं। सामग्री का कोई भी हिस्सा पुनर्प्राप्ति प्रणाली में संग्रहीत या किसी भी रूप में, इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, फोटोकॉपी, रिकॉर्डिंग, या अन्यथा प्रकाशक की पूर्व लिखित अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रेषित नहीं किया जा सकता है।
पियर रिव्यू प्रक्रिया
संचार माध्यम के प्रकशनार्थ प्राप्त सभी लेख डबल ब्लाइंड पीयर रिव्यू प्रक्रिया के अधीन हैं। संचार माध्यम में प्राप्त शोध आलेखों को विशेषज्ञों के पास बिना उसके लेखक/लेखकों का नाम बताए समीक्षा के लिए भेजा जाता है। उनकी टिप्पणी, सुझावों और अनुशंसा के आधार पर शोध-पत्रों के प्रकाशन का निर्णय लिया जाता है। संपादन-परिषद् के संतुष्ट होने पर ही शोध-पत्र प्रकाशित किया जाता है। इस प्रक्रिया में आम तौर पर 4-6 सप्ताह लगते हैं। पीयर रिव्यू पांच चरणों पर आधारित है – क. जस के तस स्वीकार करने लायक, ख. मामूली सुधार की आवश्यकता, ग. मध्यम सुधार की आवश्यकता, घ. अधिक सुधार की आवश्यकता ड. अस्वीकृत। संचार माध्यम तीव्र समीक्षा प्रक्रिया का पालन नहीं करता है।